ADITYA-L1 Mission Explained: बीते बुधवार यानी 23 अगस्त 2023 को भारत के तीसरे चंद्र मिशन “चंद्रयान-3” ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक अपनी लैंडिंग करी और इस उपलब्धि के साथ भारत अमेरिका, रूस तथा चीन के बाद चाँद पर पहुँचने वाला दुनियाँ का चौथा देश जबकि दक्षिणी ध्रुव पर अपना कोई मिशन भेजने वाला पहला देश बन चुका है। अपने सफल चंद्र मिशन के बाद अब भारत अगले महीने की शुरुआत में सूर्य पर भी अपना पहला मिशन जिसका नाम ADITYA-L1 Mission है भेजने की तैयारी में जुट गया है।
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे एक और नए लेख में जहाँ आज हम Science एवं Technology से जुड़े एक महत्वपूर्ण विषय इसरो के ADITYA-L1 Mission के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं, इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे ADITYA-L1 मिशन क्या है? ADITYA-L1 मिशन कब भेजा जाएगा? ADITYA-L1 मिशन से सूर्य के किन रहस्यों का पता लगाया जाएगा तथा ADITYA-L1 मिशन कितनी अवधि का होगा इसके साथ ही लेख के अंत में आम लोगों के मन में उठने वाले ADITYA-L1 Mission से जुड़े कुछ प्रश्नों FAQs का उत्तर देने की कोशिश भी करेंगे।
ADITYA-L1 Mission क्या है?
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद ADITYA-L1 Mission भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अर्थात ISRO के आगामी मिशनों में शामिल एक महत्वपूर्ण मिशन है, जिसके माध्यम से सूर्य को लेकर मानव जाति की समझ को और बढ़ाने की दिशा में कार्य किया जाएगा। Indiatoday में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इसरो अपना सूर्य मिशन आने वाले शनिवार यानी 2 सितंबर 2023 को लॉन्च करने जा रहा है जो अब से केवल दिया जाएगा। आदित्य-एल1 मिशन को इसरो के PSLV रॉकेट द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा आपको बता दें कि, अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर अपने गंतव्य तक पहुंचने में कुल 127 दिनों का समय लगेगा।
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इसरो के अनुसार ADITYA-L1 मिशन सूर्य का अध्ययन करने वाला अंतरिक्ष आधारित पहला भारतीय मिशन होगा। मिशन से जुड़े अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक Halo Orbit में स्थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, कोई भी दो पिंड एक दूसरे पर गुरुत्वाकर्षण का बल लगाते हैं और जितना अधिक किसी पिंड का द्रव्यमान होता है उसके द्वारा लगाया गया गुरुत्व बल भी उतना ही अधिक होता है।
किन्तु किन्हीं दो पिंडों के बीच कुछ ऐसे स्थान भी होते हैं जहाँ पर दोनों पिंडों द्वारा लगाया गया गुरुत्वाकर्षण बल एक समान होता है जिस कारण कोई वस्तु इस स्थान पर स्थिर बनी रहती है। इन्हीं बिंदुओं को लैग्रेंज बिंदु या Lagrange point कहा जाता है। बता दें कि सबसे पहले इनके बारे में प्रसिद्ध गणितज्ञ जोसेफ लुई लैग्रेंज ने बताया था और उनके नाम पर ही इन बिंदुओं का नाम लैग्रेंज बिन्दु रखा गया। सूर्य और पृथ्वी के बीच भी पाँच ऐसे लैग्रेंज बिन्दु (L1 से L5) मौजूद हैं इनकी स्थिति नीचे चित्र में दिखाई गई है।

इसरो द्वारा आदित्य-एल1 मिशन के तहत भेजा जाने वाला स्पेसक्राफ्ट L1 लैग्रेंज बिन्दु पर स्थापित किया जाएगा। इस बिन्दु पर अंतरिक्ष यान को स्थापित करने का फायदा यह होगा कि यहाँ से सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखने की सहूलियत मिलेगी जिससे रियल टाइम में सौर गतिविधियों तथा अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का पता लगाने में मदद मिलेगी। आदित्य-एल1 मिशन के तहत इसरो का यान 7 अलग-अलग पेलोड अंतरिक्ष में ले जाएगा जो Magnetic Field Detectors तथा Particles Detectors का इस्तेमाल करते हुए फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना का निरीक्षण करेंगे।
ADITYA-L1 Mission को भेजने के पीछे उद्देश्य
सामान्य शब्दों में कहें तो ADITYA-L1 Mission को भेजने के पीछे वैज्ञानिकों का मुख्य उद्देश्य सूर्य एवं इसकी विभिन्न गतिविधियों और इसके व्यवहार का गहन अध्ययन करना है लेकिन इसरो द्वारा भेजे जा रहे इस सौर मिशन के निश्चित लक्ष्यों की बात करें तो ये निम्नलिखित हैं-
- ऊपरी सौर वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिकी का अध्ययन करना
- क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का अध्ययन करना
- आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी का अध्ययन करना
- कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत और फ्लेयर्स का अध्ययन करना
- सौर कणों की गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले यथावस्थित कण और प्लाज्मा वातावरण का ऑब्जर्वेशन करना
- सौर कोरोना और इसका ताप तंत्र की भौतिकी को समझना
- सी.एम.ई. के विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति को समझना
- उन प्रक्रियाओं के क्रम की पहचान करना जो सूर्य की कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) में होती हैं तथा अंततः सौर विस्फोट जैसी घटनाओं की ओर ले जाती हैं
- कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र को मापना
- सोलर विंड की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता का अध्ययन करना
मिशन ADITYA-L1 की शुरुआत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आदित्य-एल1 मिशन को आने वाली 2 सितंबर 2023 को इसरो द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से PSLV-XL रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाएगा, इसके पश्चात अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निम्न कक्षा अर्थात Low Earth Orbit में स्थापित किया जाएगा। Low Earth Orbit में सौरयान के स्थापित होने के बाद इसके मार्ग को धीरे-धीरे परवलयाकार (Elliptical) बनाते हुए अंतरिक्ष यान को इसके भीतर मौजूद Onboard Propulsion की सहायता से लैग्रेंज बिंदु (L1) की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा।
अंतरिक्ष यान के L1 की ओर यात्रा करने के दौरान यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र यानी (Sphere of Influence) से बाहर निकल जाएगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद स्पेसक्राफ्ट का क्रूज़ फेस शुरू हो जाएगा और इसके पश्चात अंतरिक्ष यान को L1 बिन्दु के चारों ओर एक बड़े Halo Orbit में स्थापित किया जाएगा। स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करने से लेकर L1 बिन्दु तक स्थापित करने की कुल यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीनों का समय लगेगा इस दौरान सौरयान करीब 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करेगा। स्पेसक्राफ्ट की इस पूरी यात्रा को आप नीचे दिखाए चित्र में देख सकते हैं

अंतरिक्ष से क्यों किया जा रहा है सूर्य का अध्ययन?
जैसा कि आप सभी जानते हैं इसरो द्वारा 14 जुलाई को लॉन्च किये गए चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का स्पेसक्राफ्ट बीते 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सफलता पूर्वक उतर या लैंड कर चुका है, जो चंद्रमा की सतह पर पानी को खोजने, चंद्रमा की सतह की रासायनिक एवं खनिज संरचना के बारे में पता लगाने समेत कई शोध कार्यों को अंजाम देगा, वहीं इसरो के सौर मिशन यानी आदित्य-एल1 की स्थिति में ऐसा नहीं है इस मिशन में इसरो द्वारा अपने स्पेसक्राफ्ट को सूर्य और पृथ्वी के बीच एक बिन्दु पर स्थापित किया जाएगा और यह स्पेसक्राफ्ट इस स्थान से सूर्य की विभिन्न गतिविधियों के बारे में अध्ययन करेगा।
ऐसे में आपके मन में यह प्रश्न उठना लाज़मी है कि सूर्य का अध्ययन पृथ्वी से न करने के बजाए अंतरिक्ष से क्यों किया जा रहा है अथवा इसके कया फायदे हैं, आपको बता दें कि सूर्य विभिन्न प्रकार के आवेशित कणों (Charged Particles) समेत तकरीबन सभी तरंगदैर्ध्य का विकिरण और प्रकाश (Radiation & Lights) उत्सर्जित करता है। सूर्य से उठने वाले इन आवेशित कणों तथा विकिरणों आदि के तूफान को ही “सोलर विंड” के रूप में जाना जाता है, आवेशित कणों का यह तूफान लगातार बहुत तेजी से अंतरिक्ष की ओर बढ़ता है।

चूँकि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र तथा इसका वायुमंडल एक कवच के रूप में कार्य करते हुए इन आवेशित कणों, हानिकरण विकिरणों आदि को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश नहीं करने देता है लिहाजा पृथ्वी पर रहते हुए सूर्य से आने वाली इस सोलर विंड का अध्ययन कर पाना संभव नहीं होता। यही कारण है कि, इसरो द्वारा अंतरिक्ष में एक स्पेसक्राफ्ट स्थापित किया जा रहा है जो सोलर विंड समेत सूर्य की विभिन्न गतिविधियों को समझने में मानव की मदद करेगा।
सौर मिशन मिशन से जुड़े FAQs
इसरो के आगामी सौरमिशन “आदित्य-एल1” से जुड़ी तमाम जानकारी हमनें ऊपर विस्तार से देने की कोशिश करी है इसके अलावा यदि आप संक्षेप में किसी प्रश्न विशेष का उत्तर चाहते हैं तो यहाँ दिए गए ADITYA-L1 Mission से जुड़े FAQs देख सकते हैं।
ADITYA-L1 मिशन कब लॉन्च होगा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ISRO आने वाली 2 तारीख को (2 सितंबर 2023) सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को लॉन्च करेगा, जिसे इसरो के PSLV-XL रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
ADITYA-L1 मिशन क्या पता लगाएगा?
आदित्य-एल1 मिशन के द्वारा सोलर विंड की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता का अध्ययन, ऊपरी सौर वायुमंडलीय अध्ययन, सौर कोरोना और इसका ताप तंत्र की भौतिकी के अध्ययन समेत विभिन्न सौर गतिविधियों का अध्ययन किया जाएगा।
ADITYA-L1 यान को गंतव्य तक पहुँचने में कितना समय लगेगा?
जैसा कि, हमनें ऊपर बताया इस मिशन के तहत इस्तेमाल किये जाने वाले स्पेसक्राफ्ट को L1 लैग्रेंज बिन्दु पर स्थापित किया जाएगा जो पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है और यहाँ तक सफलता पूर्वक पहुँचने में आदित्य-एल1 यान को लगभग चार महीनों (127 दिन) का समय लगेगा।
उम्मीद है दोस्तों आपको इसरो के आगामी सूर्य मिशन ADITYA-L1 Mission से जुड़ा यह लेख पसंद आया होगा, जिसमें हमनें ADITYA-L1 मिशन से जुड़ी तमाम बातों जैसे ADITYA-L1 Mission क्या है? ADITYA-L1 मिशन का क्या उद्देश्य है आदि को विस्तार से समझाया है। आप अपने सुझाव एवं लेख से जुड़े कोई भी प्रश्न हमें कमेन्ट के माध्यम से भेज सकते हैं। यदि आप विज्ञान, टेक्नॉलजी, फाइनेंस, राजनीति जैसे विषयों से ज्ञानवर्धक जानकारी पाना चाहते हैं तो हमें फॉलो करें।