Laptop Import Ban: भारत सरकार ने Laptop Importers को दी बड़ी राहत, अब इस शर्त के साथ कर सकेंगे लैपटॉप, टैबलेट आदि का आयात

बीते गुरुवार यानी 3 अगस्त 2023 को भारत सरकार ने देश में लैपटॉप, टैबलेट तथा PC के इम्पोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था। बता दें कि, डायरेक्ट जनरल ऑफ फॉरन ट्रेड (DGFT) ने एक नोटिफिकेशन के माध्यम से इसके बारे में जानकारी दी। सरकार का ये फैसला घरेलू उत्पादकों को उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने तथा देश की चीन कोरिया जैसे देशों पर लगातार बढ़ रही निर्भरता को कम करना है।

सरकार की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में इस फैसले के तत्काल रूप से लागू होने की बात कही गई थी लेकिन अब सरकार ने अपने फैसले में बदलाव करते हुए देश के Importers को कुछ हद तक राहत देने का काम किया है, डायरेक्ट जनरल ऑफ फॉरन ट्रेड (DGFT) ने अपने एक हालिया नोटिफिकेशन में आयात प्रतिबंध की इस समय सीमा या डेडलाइन को अक्टूबर तक बढ़ाने की जानकारी दी है।

लेटेस्ट नोटिफिकेशन के अनुसार सरकार ने अक्टूबर 2023 तक आयातकों को इन उत्पादों को आयात करने की छूट दे दी है अतः अब 31 अक्टूबर 2023 तक देश की आयातक कंपनियां लैपटॉप, टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स आयात कर सकती है लेकिन 1 नवंबर 2023 के बाद से ऐसा नहीं किया जा सकेगा।

किन गैजेट्स पर लगाया गया है बैन?

केंद्र की मोदी सरकार ने HSN 8471 के तहत आने वाली सात श्रेणियों के गैजेट्स के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, इस श्रेणी में डेटा प्रोसेसिंग करने वाली मशीनें शामिल हैं। इन मशीनों में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर, अल्ट्रा-स्मॉल कंप्यूटर और सर्वर आदि शामिल हैं।

1 नवंबर 2023 के बाद अब कोई भी कंपनी इन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों या गैजेट्स का आयात नहीं कर सकेगी हालांकि कोई भी कंपनी सरकार से लाइसेंस प्राप्त कर प्रतिबंधित श्रेणी के उत्पादों का आयात कर सकती है।

गौरतलब है कि, कुछ विशेष उद्देश्यों जैसे शोध एवं विकास कार्यों, परीक्षण, बेंचमार्किंग, मूल्यांकन तथा मरम्मत आदि के लिए प्रतिबंधित श्रेणी में डाले गए गैजेट्स का आयात किया जा सकेगा किन्तु इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आयात किये जाने वाले उत्पादों की प्रति खेप में भी केवल 20 वस्तुओं तक ही आयात लाइसेंस से छूट दी जाएगी।

क्या है HSN कोड?

आपको बताते चलें कि, HSN यानी Harmonized System of Nomenclature (HSN) उत्पादों के लिए एक प्रकार की वर्गीकरण प्रणाली है, जिसका उपयोग देश के भीतर टैक्स उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार के उत्पादों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।

बता दें कि, यह 6 डिजिट का एक कोड होता है और अलग-अलग उत्पादों की श्रेणियों के लिए अलग-अलग HSN कोड निर्धारित किये जाते हैं ताकि उनकी पहचान करी जा सके। इसे World Customs Organization (WCO) द्वारा विकसित किया गया था और यह साल 1988 से वैश्विक रूप से लागू किया गया, यह कोड व्यवस्था दुनिया भर में वस्तुओं के व्यवस्थित वर्गीकरण में मदद करती है।

प्रतिबंध से कैसे मिलेगा देश को फायदा?

साल 2016 के बाद से देश में लैपटॉप, टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के आयात में भारी उछाल देखने को मिला है, भारत में अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का आयात चीन तथा कोरिया जैसे देशों से होता है। लेकिन अब सरकार घरेलू उत्पादको को प्रोत्साहित करने की दिशा में कार्य कर रही है जिससे देश की जरूरतों को देश के उत्पादकों द्वारा पूरा किया जा सकेगा और साथ ही भारत की इन देशों खासकर चीन पर आयात को लेकर निर्भरता भी कम होगी।

इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के इलेट्रॉनिक गैजेट्स का घरेलू स्तर पर उत्पादन यूजर्स के लिए उनके डेटा प्रोटेक्शन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। बता दें कि, भारत सरकार का यह फैसला सरकार की Production-linked Incentive (PLI) नीति का हिस्सा है।

इस वर्ष मई महीने में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में भारत की विनिर्माण क्षमताओं (Manufacturing Capabilities) और Exports को बढ़ाने के लिए IT हार्डवेयर के लिए Production-Linked Incentive (PLI) योजना 2.0 शुरू करने की मंजूरी प्रदान करी थी। इस योजना का उद्देश्य IT से जुड़े हार्डवेयर का देश के भीतर ही उत्पादन करना और आयात के बजाए दुनिया में उसका निर्यात करना है।

फैसले से किसे पड़ेगा असर?

सरकार के इस फैसले का जहाँ देश पर एक सकारात्मक असर देखने को मिलेगा वहीं विदेशी कंपनियों को इस फैसले के चलते बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे लैपटॉप, टैबलेट आदि बनाने वाली कंपनियों को Make in India कार्यक्रम के तहत देश के भीतर ही उत्पादन करना पड़ेगा, हालांकि जो कंपनियां पहले से ऐसा कर रही हैं वे इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी।

लेकिन ऐसी कंपनियां जो अपने इन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का किसी अन्य देश में उत्पादन कर उन्हें भारत में थोक में निर्यात कर रही थी उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। आपको बता दें कि, वर्तमान में भारत में आयात किये जाने वाले अधिकांश लैपटॉप चीन में बनाए जाते हैं अब इन कंपनियों को या तो सरकार से आयात के लिए विशेष लाइसेंस लेना पड़ेगा या अपने गैजेट्स का उत्पादन भारत में करना पड़ेगा।

चूँकि वे कंपनियां जो लाइसेंस के तहत भारत में अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बेचेंगी उन्हें सरकार को भारी भरकम लाइसेंस फीस भी चुकानी होगी और अंततः इसका खामियाजा देश के आम कंज्यूमर को भुगतना पड़ सकता है। ग्राहकों को आने वाले दिनों में प्रतिबंधित इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिए पहले की तुलना में अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं, किन्तु यदि इन उत्पादों का कोई घरेलू विकल्प कंज्यूमर के सामने आता है तो यह उन्हें कुछ हद तक राहत देगा।

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