Meditation Explained In Hind: आज-कल की दौड़ती-भागती ज़िंदगी और हर क्षेत्र में लगातार बढ़ती प्रतिस्पर्धा (Competition) के चलते हर कोई व्यक्ति खासकर युवा वर्ग मानिसक रूप से तनाव (Depression) में है, WHO के आंकड़ों के अनुसार करीब 7 से 10 लाख लोग सालाना डिप्रेशन के चलते आत्महत्या करते हैं, अकेले भारत में मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या करने वालों की संख्या बहुत अधिक है, लिहाजा वर्तमान दौर में प्रत्येक व्यक्ति के लिए आंतरिक अथवा मन की शांति और मानसिक कल्याण सर्वोपरि बन गया है।
इसी समस्या से निपटने के लिए प्राचीन काल से ही जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता रहा है वह है ध्यान अथवा Meditation हालांकि आदि काल में ध्यान का इस्तेमाल मुख्यतः स्वयं को जानने तथा ईश्वर की प्राप्ति जैसे कार्यों के लिए किया जाता था लेकिन वर्तमान दौर में इसका इस्तेमाल मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए किया जा रहा है। आपको बता दें ध्यान अथवा Meditation एक प्रकार का प्राचीन अभ्यास है जो हजारों वर्षों से चला आ रहा है जिसका इस्तेमाल मन की शांति और मानसिक संतुलन की प्राप्ति के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में किया जाता रहा है।
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे एक और नए लेख में जहाँ आज हम एक महत्वपूर्ण विषय “Meditation” पर चर्चा करने जा रहे हैं, आज इस लेख में हम मेडिटेशन तथा इससे जुड़े विभिन्न प्रश्नों जैसे मेडिटेशन क्या है? मेडिटेशन कैसे किया जाता है? मेडिटेशन करने से क्या फायदा होता है? मेडिटेशन की शुरुआत कैसे करें? मेडिटेशन कितने मिनट तक करना चाहिए? ध्यान से कौन सी बीमारी ठीक हो सकती है? आदि के उत्तर देने की भी कोशिश करेंगे।
ध्यान या Meditation क्या है?
Meditation को हिंदी में ध्यान कहा जाता है, Meditation का सीधा मतलब होता है अपने मन को काबू करना। हमारे पूरे शरीर में हमारा मन ही है जो कभी भी स्थिर नहीं होता है। रात को सोते समय भी हमारा मन नहीं सोता है जिस कारण से हमें सपने आते है। मन का हद से अधिक अस्थिर होना ही मानसिक स्ट्रेस या तनाव का कारण भी बनता है अतः मन को काबू करने के लिए मेडिटेशन या ध्यान किया जाता है।
मेडिटेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से गौतम बुद्ध और विवेकानन्द जैसे व्यक्तियों ने पूरे विश्व में भारत को एक नई पहचान देने का काम किया। मेडिटेशन ने कई वर्षों से लोगों का ध्यान अपनी और खींचा है और आपको यह जानकर ख़ुशी होगी की Meditation की शुरुआत भारत में ही हुई थी। विश्व भर में ध्यान का सबसे पुराना प्रमाण हमारे वेदों में ही पाया गया है। ध्यान ही वह प्रक्रिया थी जिसके माध्यम से प्राचीन ऋषि ,मुनि ईश्वर की प्राप्ति कर पाते थे।
मेडिटेशन का इतिहास
बहुत कम लोग जानते है की मेडिटेशन या ध्यान की शुरुआत कहाँ से हुई अथवा इसका इतिहास कितना पुराना है? हिन्दू पुराणों की मानें तो मेडिटेशन धरती पर मनुष्य द्वारा किया गया एक बेहद ही प्राचीन प्रयोग है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वयं भगवान शिव भी ध्यान किया करते थे, जिसका प्रमाण शिवपुराण में भी देखने को मिलता हैं किन्तु आधुनिक सभ्यताओं की बात करें तो ध्यान का प्रमाण सबसे पहले भारत में ही मिलता है। भारत में ध्यान की उत्त्पति का साक्ष्य आज से लगभग 5000 ईसा पूर्व की बनी मूर्ती कलाओं में देखने को मिलते हैं।

इन मूर्तियों को ध्यान की मुद्रा में देखा जा सकता है जो भारत में इस दौर में मेडिटेशन के होने का प्रमाण देती हैं। भारत में ध्यान या मेडिटेशन का जिक्र वेदों और पुराणों में भी मिलता है जो ध्यान की मुद्रा में बनी मूर्तियों से भी प्राचीन है। लिहाजा भारतीय समाज में “ध्यान” शब्द कोई नया नहीं है। इसके साथ ही प्राचीन शिक्षा व्यवस्था में गुरुकुलों में पढ़ाई होती थी और इन गुरुकुलों में भी गुरु अपने शिष्यों को अन्य विषयों के साथ-साथ मेडिटेशन या ध्यान की शिक्षा देते थे।
मेडिटेशन और मॉडर्न दुनिया
हालांकि Meditation या ध्यान एक बहुत ही प्राचीन प्रयोग है जिसके बारे में हमनें ऊपर चर्चा भी करी लेकिन वर्तमान दौर में दौड़ती-भागती जिंदगी और बढ़ते मानसिक तनाव के चलते ध्यान का प्रयोग भारत समेत दुनिया भर में बढ़ने लगा है, भारत से अधिक पश्चिमी लोग आज Meditation की तरफ खासा आकर्षित हो रहे हैं।
मेडिटेशन के फायदों को देखते हुए आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी इस विषय में रिसर्च करने की योजना बनाई और इसके तहत तरह-तरह के प्रयोग किये गए, इन्हीं में एक प्रयोग नियमित ध्यान करने वाले कुछ बौद्ध भिक्षुओं पर किया गया। वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग में पाया की जो बौद्ध भिक्षु रोजाना मेडिटेशन या ध्यान करते है उनकी यादशक्ति, मानसिक संतुलन, मन पर नियंत्रण, शारीरिक कष्ट सहने की क्षमता और बुद्धि सामान्य लोगों की तुलना में कई गुना अधिक थी।
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आध्यात्म के साथ-साथ मेडिटेशन आज चिकित्सा पद्धति का हिस्सा भी बनता जा रहा है कई प्रकार की मानसिक विकारों के लिए डॉक्टर लोगों को मेडिटेशन करने का सुझाव देते हैं और अधिकांश स्थितियों में मेडिटेशन का मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव ही देखने को मिलता है। वर्तमान समय में कई डॉक्टर्स डिप्रेशन, एंजाइटी तथा माइग्रेन जैसी बीमारियों से निपटने के लिए भी मेडिटेशन की सलाह देते हैं
मेडिटेशन के फायदे
मेडिटेशन या ध्यान करने के किसी भी व्यक्ति के लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तल पर अनेकों-अनेक फायदे हैं आइए इनमें से कुछ महत्वपूर्ण फ़ायदों को यहाँ समझते हैं।
स्वास्थ्य संबंधित लाभ
आज कल की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में इंसान पैसा भले ही कमा रहा हो किन्तु मानसिक और इमोशनल स्तर पर सुखी नहीं है या साधारण शब्दों में कहें तो लोगों के जीवन में कहीं न कहीं सुकून और एक अच्छे स्वास्थ्य की कमी है जिसे पैसों से नहीं खरीदा जा सकता है। यदि आप भी स्वयं को पूर्णतः स्वस्थ और ऊर्जावान रखना चाहते है तो आप मेडिटेशन या ध्यान का सहारा ले सकते है। मेडिटेशन या ध्यान के नियमित प्रयोग से आप अपने जीवन में एक नई ऊर्जा के प्रवाह को महसूस करेंगे जो आपको मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करेगी।
मानसिक तनाव से मुक्ति
अवसाद या डिप्रेशन वर्तमान दौर में पूरी दुनिया के लिए एक अहम चुनौती बन चुकी है और इसका एक महत्वपूर्ण कारण नई पीढ़ियों का मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर होना भी है नियमित ध्यान करने से डिप्रेशन जैसी समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है जिसके लिए लोग मनोचिकित्सकों का सहारा ले रहे हैं और लाखों रुपये इसके इलाज में खर्च कर रहे हैं।
मेडिटेशन करने से हमारे मस्तिष्क की सभी माँसपेशियाँ तक रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर होती है, जिसके चलते हम किसी भी विषय पर आसानी से फोकस कर पाते हैं और जीवन से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान खोजने की दिशा में कार्य कर पाते हैं जो हमारे डिप्रेशन का कारण बनी है और अंततः इससे हमारा डिप्रेशन भी कम होता है।
ईश्वर की प्राप्ति
प्राचीन काल में मेडिटेशन अथवा ध्यान का इस्तेमाल स्वयं को जानने या ईश्वर की प्राप्ति करने के लिए किया जाता था, महावीर, बुद्ध जैसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं जिन्होंने ध्यान की बदौलत स्वयं को जाना या दूसरे शब्दों में ईश्वर को प्राप्त किया, सनातन धर्म में “अहं ब्रह्मास्मि” की परंपरा को माना जाता है अर्थात “मैं ही ब्रह्म या ईश्वर हूँ” प्रत्येक मनुष्य के भीतर ईश्वर का वास है जिसे सिर्फ खोजने भर की देर है जो व्यक्ति स्वयं को जान पाता है वह वास्तव में ईश्वर को भी प्राप्त कर लेता है और ध्यान स्वयं को जानने का एकमात्र तरीका है।
हम अक्सर कथा पुराणों आदि में सुनते या देखते हैं की ऋषि मुनि जंगलों में रहते थे और सालों-साल तपस्या करते थे और फिर एक समय ऐसा अत था की खुद भगवान उन्हें दर्शन देते थे, कथाओं, नाटकों इत्यादि में भले ही कुछ अतिशयोक्ति की गई हो किन्तु प्राचीन काल में कई ऋषि-मुनियों ने इसी तरीके का इस्तेमाल कर स्वयं के भीतर छिपे परमात्मा की खोज करी।
मजबूत मस्तिष्क
मेडिटेशन की सहायता से आप अपने दिमाग या मस्तिष्क को भी अधिक मजबूत बना सकते हैं जैसा कि हमनें ऊपर बताया ध्यान करने से आपके दिमाग के प्रत्येक हिस्से तक खून और ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर हो जाती है जिससे शरीर का सबसे अहम हिस्सा अधिक कुशलता के साथ कार्य कर पाता है। ध्यान करने से किसी भी कार्य में आसानी से मन लगना या फोकस कर पाना आसान होता है साथ ही ध्यान करने से व्यक्ति इमोशनल रूप से भी मजबूत होता है।
मजबूत मस्तिष्क वाले व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में धैर्यवान बने रहते हैं और बिना परिस्थिति से प्रभावित हुए समझदारी के साथ निर्णय लेते हैं इसके अलावा चूँकि हमारा शरीर भी हमारे दिमाग से ही संचालित होता है अतः मजबूत दिमाग वाले व्यक्तियों का शरीर भी स्वतः ही मजबूत बन जाता है ऐसे लोगों के शरीर में किसी भी प्रकार की बीमारियों से लड़ने की क्षमता सामान्य व्यक्तियों से कई गुना अधिक होती है।
मेडिटेशन करने की विधि
जितने अधिक ध्यान के फायदे हैं उतना ही आसान ध्यान को करना है। ध्यान करने के लिए आपको किसी विशेष कौशल या किसी अन्य सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है आप किसी भी स्थान पर बैठ कर ध्यान कर सकते हैं। ध्यान की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले किसी स्थान का चुनाव करें आप अपने घर के किसी भी हिस्से में ध्यान कर सकते हैं हालांकि आप किसी साफ-सुथरी या शांत जगह को ध्यान करने के लिए चुनते हैं तो आप आसानी से ध्यान कर पाएंगे।
इसके पश्चात आप एक मैट बिछाकर पालथी लगाकर शांत मुद्रा में बैठ जाएं और सर्वप्रथम अपने शरीर को शिथिल या रिलेक्स करने की कोशिश करें ध्यान रहे कि, आपके शरीर का कोई भी हिस्सा तनाव में ना रहे, शरीर शिथिल हो जाने के बाद धीरे-धीरे अपनी साँसों को शिथिल करने की कोशिश करें अपनी साँसों को इतना शांत करें कि, आपको श्वाश लेने का आभास भी न हो।

इसके पश्चात अपने मन को शांत करने की कोशिश करें यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि, मन पर नियंत्रण करने की कोशिश ना करें यदि मन में कोई विचार आता है तो उसे आने दें मन को विचार शून्य करने की बिल्कुल भी कोशिश ना करें और इस प्रकार कुछ समय के बाद आप पूरी तरह ध्यानमग्न हो जाएंगे और आपको जागते हुए भी निंद्रा का अनुभव होगा, यही ध्यान मुद्रा है आप जब तक चाहें इस मुद्रा में बने रह सकते हैं।
मेडिटेशन के प्रकार
मेडिटेशन या ध्यान कई प्रकार के होते है और इनके अलग-अलग प्रकारों को अलग-अलग परिणामों की प्राप्ति के लिए विकसित किया गया है, कुछ मुख्य प्रकार के मेडिटेशन में सामान्य मेडिटेशन, जेन या ज़ज़ेन मेडिटेशन, कुंडलिनी जागरण, मंत्रोच्चारण के साथ ध्यान, माइंडफुलनेस तथा हार्टफुलनेस जैसे मेडिटेशन शामिल हैं।