Share Market Explained in Hindi: क्या आप जानते हैं शेयर बाजार से जुड़े इन शब्दों का मतलब?

Share Market Explained in Hindi: वर्तमान समय जैसे-जैसे इंटरनेट की पहुँच आम आदमी तक बढ़ रही है शेयर बाजार में निवेश करना भी लोकप्रिय होता जा रहा है। इंटरनेट की दिन-प्रतिदिन बढ़ रही पहुँच के चलते आज आप सिर्फ अपने स्मार्टफोन से घर बैठे मिनटों में भारत समेत विदेश की कंपनियों के शेयर खरीद या बेच सकते हैं।

हालांकि शेयर बाजार में निवेश करना जितना आसान काम है, शेयर बाजार तथा इससे जुड़ी तमाम शब्दावलियों को समझना उतना ही जटिल भी है, लेकिन अब आपको इस बारे में चिंता करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमारे इस लेख को पढ़ने के बाद आपको शेयर बाजार क्या होता है से लेकर इससे जुड़े तमाम शब्दावलियों को समझने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका फाइनेंस और शेयर बाजार से जुड़े हमारे एक और नए लेख में जहाँ आज हम शेयर बाजार यानी Stock Market पर चर्चा करने जा रहे हैं साथ ही इस लेख के माध्यम से हम शेयर बाजार से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण Terminologies जैसे प्राथमिक एवं द्वितीयक शेयर बाजार क्या होते हैं? IPO क्या होता है? FPO क्या होता है? Balance Sheet क्या होती है? EBITDA क्या होता है? Bull और Bear Market क्या होता है जैसे प्रश्नों का उत्तर देने की भी कोशिश करेंगे तो अंत तक पढिए इस लेख को।

शेयर बाजार क्या होता है?

शेयर बाजार एक प्रकार का Capital Market है, जहाँ विभिन्न कंपनियों के शेयरों को खरीदा या बेचा जाता है। किसी भी कंपनी को जब अपने खर्चों को पूरा करने के लिए पैसे की जरूरत होती है तो वह अपनी कंपनी की कुछ हिस्सेदारी आम जनता एवं विभिन्न संस्थानों को बेच देती है और बदले में प्राप्त पैसे को अपने बिजनेस को बढ़ाने, कर्ज चुकाने आदि में इस्तेमाल करती है।

गौरतलब है कि प्रत्येक कंपनी अपने लाखों-करोड़ों शेयरों से मिलकर बनी होती है और शेयर या स्टॉक ही किसी कंपनी की एक यूनिट या इकाई होते हैं, शेयर बाजार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं जिनमें प्राथमिक शेयर बाजार तथा द्वितीयक शेयर बाजार शामिल हैं, इन दोनों को हम आगे विस्तार से समझेंगे।

प्राथमिक शेयर बाजार किसे कहते हैं?

जब कोई कंपनी पैसे जुटाने के लिए अपनी कंपनी की हिस्सेदारी को बेचने का फैसला लेती है तो पहली बार कंपनी के शेयर जिस बाजार में बेचे जाते हैं उसे प्राथमिक शेयर बाजार कहा जाता है। पहली बार अपने शेयर बेचने के लिए कंपनी को IPO लाना होता है। चूँकि पहली बार जब कंपनी अपनी हिस्सेदारी बेचती है तो इससे उसे पैसे मिलते हैं अतः प्राथमिक शेयर बाजार या Primary Share Market अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण का काम भी करता है।

द्वितीयक शेयर बाजार किसे कहते हैं?

एक बार जब कोई कंपनी प्राथमिक शेयर बाजार में अपने शेयर आम जनता को बेचकर पैसे इकट्ठा कर लेती है तो इसके बाद कंपनी की एक निश्चित हिस्सेदारी या कंपनी के शेयरों की एक निश्चित संख्या आम जनता के पास चली जाती है और वह कंपनी शेयर बाजार के विभिन्न स्टॉक एक्सचेंज जैसे NSE और BSE में लिस्ट हो जाती है। अब वे लोग या संस्थाएं जिन्होंने IPO के माध्यम से कंपनी के शेयर प्राथमिक बाजार में खरीदे थे स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से उन्हें ट्रेड करते हैं, जिसे द्वितीयक शेयर बाजार कहा जाता है।

सरल शब्दों में समझें तो जिस शेयर बाजार के बारे में आप अक्सर सुनते हैं वह द्वितीयक शेयर बाजार ही होता है। चूँकि द्वितीयक बाजार में होने वाली शेयरों की खरीद फरोख्त से कंपनी को किसी प्रकार की पूंजी नहीं मिलती है अतः यह बाजार अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण का काम नहीं करता।

Stock Exchange किसे कहते हैं?

अब तक आप शेयर बाजार किसे कहते हैं यह समझ चुके होंगे, आइए अब अक्सर सुनाई देने वाले शेयर बाजार से जुड़े शब्द स्टॉक एक्सचेंज को समझते हैं। प्राथमिक एवं द्वितीयक शेयर बाजार की चर्चा में हमनें एक शब्द स्टॉक एक्सचेंज की चर्चा करी, आपको बता दें कि Stock Exchange विभिन्न कंपनियों के शेयरों को खरीदने और बेचने का एक प्लेटफ़ॉर्म होते हैं। इन्हें आप किसी ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म की तरह समझ सकते हैं जहाँ आप कोई भी लिस्टेड प्रोडक्ट को खरीद सकते हैं।

भारत में दो मुख्य स्टॉक एक्सचेंज हैं जिनके बारे में आप अक्सर न्यूज इत्यादि में सुनते रहते होंगे इनमें नैशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE तथा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी BSE शामिल हैं। भारत में इन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के बाद ही किसी कंपनी के शेयर आम आदमी के खरीदने के लिए उपलब्ध होते हैं।

IPO क्या होता है?

आपने अक्सर समाचारों में सुना होगा कि, कोई कंपनी अपना आईपीओ (IPO) ला रही है अथवा लेकर आने वाली है आइए समझते हैं आखिर यह IPO क्या होता है? आईपीओ को जानने से पहले किसी कंपनी की कार्यप्रणाली को समझना बेहद आवश्यक है। किसी भी बिजनेस को सुचारू रूप से चलाने, नए उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग करने, नए इनोवेशन करने आदि के लिए धन की आवश्यकता होती है और यह धन कोई कंपनी बैंक या वित्तीय संस्थानों से ऋण लेकर जुटा सकती है किन्तु इस स्थिति में कंपनी को लिए गए लोन पर भारी भरकम ब्याज देना पड़ता है।

इसीलिए कंपनियां धन जुटाने के लिए एक दूसरे रास्ते का इस्तेमाल करती हैं, जिसके तहत कंपनियां अपनी कुछ हिस्सेदारी बाजार में बेच देती हैं जैसा कि, हमनें पूर्व में भी बताया और इस प्रकार कंपनियों को बिना ऋण लिए उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलती है। जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कुछ हिस्सेदारी को बाजार में बेचती है तो इस प्रक्रिया को IPO या Initial Public Offering कहा जाता है।

यह भी पढ़ें:

आईपीओ की प्रक्रिया बाजार नियामकों जैसे भारत की स्थिति में सेबी (Securities and Exchange Board of India) की देख-रेख में पूरी होती है। IPO आने से पहले कोई भी कंपनी प्राइवेट कंपनी होती है, जबकि IPO के पश्चात वह एक पब्लिक कंपनी बन जाती है। जैसा कि, हमनें बताया आईपीओ के माध्यम से कंपनी अपनी कुछ हिस्सेदारी को बाजार में बेचती है और IPO की सब्सक्रिप्शन अवधि के दौरान विभिन्न श्रेणियों के निवेशक जैसे रिटेल निवेशक, इंस्टीट्यूशन (बैंक, म्यूचुअल फंड आदि) शेयरों के लिए आवेदन करते हैं और अलॉटमेंट की तारीख को निवेशकों को शेयर प्राप्त हो जाते हैं। इसके पश्चात कंपनी के शेयर स्टॉक मार्केट में ट्रेड होने के लिए लिस्ट हो जाते हैं और उनकी मांग एवं आपूर्ति के अनुसार शेयरों की कीमत में उतार चढ़ाव आते हैं।

FPO क्या होता है?

IPO के संबंध में आपने ऊपर जाना कि जब किसी कंपनी को धन की आवश्यकता होती है तो वह अपनी कुछ हिस्सेदारी को बेचकर इसे जुटा सकती है और जब कंपनी ऐसा पहली बार करती है तो उसे IPO या Initial Public Offering कहा जाता है लेकिन एक बार धनराशि जुटाने के बाद किसी कंपनी को भविष्य में और धन की आवश्यकता हो सकती है और यदि कंपनी फिर से अपनी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लेती है तो इस प्रक्रिया को FPO या Follow on Public Offer कहा जाता है। कोई निवेशक इसमें भी उसी प्रकार निवेश कर सकता है जैसे वह किसी IPO में करता है।

Bull और Bear Market किसे कहते हैं?

शेयर बाजार अनिश्चितताओं से भरा है, देश या दुनियाँ से जुड़ी कोई भी खबर इसे प्रभावित कर सकती है लिहाजा शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहता है। शेयर बाजार में आने वाले इन्हीं उतार-चढ़ावों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। जब शेयर बाजार में चढ़ाव देखने को मिलता है या लोग अधिक से अधिक खरीदारी करते हैं तो इस स्थिति को Bull या Bullish Market कहा जाता है और यही शब्द किसी कंपनी के लिए भी इस्तेमाल होता है।

वहीं जब शेयर बाजार में उतार देखने को मिलता है अधिक से अधिक लोग शेयर को खरीदने के बजाए बेचने वाले लोगों की संख्या अधिक होने लगती है तो इस स्थिति को Bearish Market कहा जाता है। उम्मीद है अगली बार आप किसी जानकार को शेयर बाजार के संबंध में Bullish या Bearish कहते सुने तो आप इसका मतलब समझ पाएंगे।

शेयर बाजार में सूचकांक (Indices) क्या होते हैं?

आपने अक्सर समाचारों में शेयर बाजार के सूचकांकों भारत की स्थित में SENSEX तथा NIFTY के ऊपर नीचे जाने की खबरों को सुना होगा, क्या आप जानते हैं शेयर बाजार के ये सूचकांक क्या है और इन्हें क्यों बनाया गया है? आइए हम बताते हैं सूचकांक किसी स्टॉक एक्सचेंज की कुछ चुनिंदा कंपनियों का एक समूह होता है जिसमें किसी देश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे IT, FMCG, फार्मा आदि से जुड़ी महत्वपूर्ण कंपनियां शामिल होती हैं।

इन कंपनियों के शेयरों की औसत कीमत से उस सूचकांक की गणना करी जाती है। सूचकांकों से किसी देश की अर्थव्यवस्था का भी आँकलन किया जा सकता है। भारत की बात करें तो यहाँ SENSEX जिसका पूरा नाम Stock Exchange Sensitive Index है तथा NIFTY जिसका पूरा नाम National Fifty है दो महत्वपूर्ण सूचकांक हैं। सेंसेक्स में देश की 30 चुनिंदा जबकि निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल हैं।

कंपनी की Balance Sheet क्या होती है?

शेयर बाजार में किस कंपनी में निवेश किया जाए ताकि भविष्य में एक अच्छा रिटर्न प्राप्त हो सके इसके लिए किसी कंपनी को कई मापदंडों पर परखना जरूरी होता है और इन्हीं में सबसे जरूरी है उस कंपनी की वित्तीय अथवा Financial स्थिति को समझना। कंपनी के जिस दस्तावेज से किसी कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति का पता चलता दूसरे शब्दों में कंपनी के सभी Financial Data की जानकारी मिलती है उसे कंपनी की Balance Sheet कहते हैं। इस दस्तावेज के माध्यम से आप किसी विशिष्ट समय पर कंपनी के कुल एसेट्स, उसकी देनदारियाँ, कंपनी के रिजर्व, कंपनी की सेल्स, प्रॉफ़िट, शेयरधारकों की इक्विटी का सारांश इत्यादि का अध्ययन कर सकते हैं।

EBITA क्या होता है?

EBITDA का पूरा नाम Earnings Before Interest, Taxes, and Amortization होता है, यह किसी भी कंपनी की आय को प्रदर्शित करता है। कोई भी कंपनी चाहे वह किसी प्रकार की वस्तुओं को बेचती है अथवा कोई सेवा बेचती है उसका शुद्ध मुनाफा उसकी कुल आय से उसके सभी खर्चों को घटाने के बाद प्राप्त होती है उदाहरण के लिए यदि जूते बनाने वाली कोई कंपनी साल भर में 1 करोड़ रुपये की आय अर्जित करती है तो इसमें से उसके सभी खर्चों जैसे जूते बनाने की लागत, ब्याज, टैक्स इत्यादि को घटा दिया जाए तो हमें कंपनी को होने वाले शुद्ध मुनाफे के बारे में पता चल सकता है।

लेकिन यदि कंपनी की कुल आय से Interest, Taxes, Depreciation और Amortization को छोड़कर अन्य खर्चों को घटा दिया जाए तो बचने वाली कंपनी की इस आय को EBITDA कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो EBITDA कंपनी की वह आय होती है जिसमें से अभी कंपनी द्वारा लिए गए किसी लोन के ब्याज, टैक्स, डेप्रिसिएशन तथा परिशोधन या Amortization को घटाना शेष है। आइए इसे एक उदाहरण की सहायता से समझने का प्रयास करते हैं। मान लें ABC कोई कंपनी है, जो जूते बनाती है और एक साल में 1 करोड़ रुपये की आय अर्जित करती है, वहीं कंपनी का कुल खर्च नीचे बताए गए अनुसार होता है-

खर्चे धनराशि
जूते की फैक्ट्री लगाने का खर्च10 लाख
कच्चा माल खरीदने का खर्च20 लाख
लेबर लागत5 लाख
मार्केटिंग 10 लाख
कुल 45 लाख

अब यदि कंपनी की कुल आय जो कि, 1 करोड़ रुपये है में से 45 लाख को घटा दिया जाए तो प्राप्त आय जो कि इस स्थिति में 55 लाख रुपये है कंपनी का EBITDA होगा। EBITDA शेयर बाजार में निवेशकों द्वारा किसी कंपनी की लाभप्रदता अथवा Profitability को जाँचने का एक उपाय है। यह एक ही सेक्टर में एक कंपनी की दूसरी कंपनी से तुलना करने में भी सहायक होता है।

Market Capitalization (Market Cap) क्या होता है?

मार्केट कैप या Market Capitalization किसी कंपनी की कुल मार्केट वैल्यू को प्रदर्शित करता है। किसी कंपनी के मार्केट कैप की गणना उसके एक शेयर की कीमत को उसके कुल शेयरों की कीमत से गुणा करके प्राप्त करी जा सकती है। शेयरों की कीमत में आने वाले उतार-चढ़ाव से कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन भी घटता बढ़ता रहता है।

Dividend क्या होता है?

कई कंपनियां अपने निवेशकों के बीच उस कंपनी को हुए मुनाफे का एक हिस्सा बांटने का फैसला लेती हैं, जिसे लाभांश या डिविडेन्ड कहा जाता है। जब भी आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के हिस्सेदार या मालिक भी बन जाते हैं अतः कंपनी को हुए मुनाफे में आपका भी हिस्सा होता है जिसे कुछ कंपनियां कंपनी के सभी शेयरधारकों में बांटने का फैसला लेती हैं। कंपनी के निवेशकों को डिविडेन्ड देना या न देना कंपनी के बोर्ड पर निर्भर रहता है जो कंपनी से जुड़े सभी निर्णय लेता है।

उम्मीद है दोस्तों शेयर बाजार क्या है से जुड़ा आज का ये लेख आपको पसंद आया होगा आप अपने सुझाव एवं लेख से जुड़े कोई भी प्रश्न हमें कमेन्ट के माध्यम से भेज सकते हैं। यदि आप विज्ञान, टेक्नॉलजी, फाइनेंस, राजनीति जैसे विषयों से ज्ञानवर्धक जानकारी पाना चाहते हैं तो हमें फॉलो करें। हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद।

Leave a Comment