Surrogacy Explained in Hindi: समय के साथ Medical Science और अधिक विकसित तथा उन्नत होता जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप कई लोग अलग-अलग तरीकों से इसका फायदा उठा रहे हैं फिर चाहे वह किसी लाइलाज बीमारी का इलाज हो अथवा किसी ऐसी तकनीक की खोज जिसने मानव जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेडिकल साइंस का ही एक चमत्कार सरोगेसी (Surrogacy) भी है जिसने आज कई ऐसे दंपतियों को माता-पिता बनने की एक नई उम्मीद प्रदान करने का काम किया है जो कभी माता-पिता बनने का सपना देखना छोड़ चुके थे।
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका एक और नए लेख में जहाँ आज हम विज्ञान् से जुड़े एक महत्वपूर्ण विषय Surrogacy in Hindi पर चर्चा करने जा रहे हैं। इस लेख में हम मेडिकल साइंस के इस चमत्कार से जुड़े विभिन्न प्रश्नों जैसे सरोगेसी क्या है? सरोगेसी से बच्चे कैसे पैदा होते हैं? सरोगेसी की जरूरत क्यों पड़ती है? भारत में सरोगेसी का कितना खर्च आता है? क्या सरोगेसी कानूनी है? आदि पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
सरोगेसी (Surrogacy) क्या है?
आपने अक्सर समाचारों, सोशल मीडिया आदि में अक्सर सरोगेसी अथवा सरोगेट मदर जैसे शब्दों के बारे में अवश्य सुना होगा किन्तु यदि आप भी इन शब्दों के पीछे के मतलब को समझना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। बदलते दौर में अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ चिकित्सा में भी नई-नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने लगा है, इन्हीं में से एक है सरोगेसी जिसका मतलब है किराये की कोख आज कल दुनिया भर में सरोगेसी का प्रचलन काफी बढ़ गया है, जिस कारण लोगो के मन में सरोगेसी से जुड़े तमाम प्रश्नों को जानने की लालसा प्रबल हो गयी है आइए विस्तार से जानते हैं सरोगेसी क्या है।
दरअसल सरोगेसी (Surrogacy) एक प्रकार की चिकित्सा पद्धति है जो निःसंतान दंपतियों के लिए संतान का सुख पाने का एक जरिया है। दरअसल यह चिकित्सा पद्धति केवल महिलाओं के लिए है जो किसी कारणवश जैसे किसी बीमारी के चलते, इलाज के चलते या निजी कारणों के चलते अपनी कोख या गर्भ का इस्तेमाल करने में असमर्थ हैं। सरोगेसी निःसंतान लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्योकि जो लोग किसी भी कारणवश माता-पिता नहीं बन पाते हैं वो सरोगेसी के माध्यम से माँ-बाप आसानी से बन सकते है।
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सरोगेसी में सामान्यतः 3 लोग शामिल होते हैं जिनमें दो पति और पत्नी अथवा दंपति जबकि तीसरी अन्य महिला होती है जिसे सरोगेट मदर कहा जाता है, सरोगेसी की प्रक्रिया में तीसरी महिला यानी सरोगेट मदर की कोख को किराये में लेकर माँ-बाप बनने की चाह रखने वाले दंपति के अंडाणु (महिला) तथा शुक्राणु (पुरुष) को लेकर निषेचित किया जाता है और इसे सरोगेट मदर की कोख में स्थापित कर दिया जाता है। इस पूरे प्रोसेस में माँ-बाप बनने वाले दंपति और सरोगेट मदर के बीच एक प्रकार का एग्रीमेंट होता है, जिसके तहत सरोगेट मदर को पर्याप्त मात्रा में धनराशि या किसी अन्य प्रकार का लाभ माँ-बाप बनने वाले दम्पति के द्वारा दिया जाता है।
सरोगेसी के कितने प्रकार हैं?
सरोगेसी मुख्यतः दो प्रकार की होती है जो लोग किसी भी कारणवश माँ-बाप नहीं बन सकते वो लोग दो प्रकार से सरोगेसी का फायदा उठा सकते है। इनमें पहले प्रकार की सरोगेसी को ट्रेडिशनल सरोगेसी कहा जाता है जबकि दूसरे प्रकार की सरोगेसी को जेस्टेशनल सरोगेसी कहा जाता है आइये जानते है दोनों प्रकार की सरोगेसी के बारे में –
ट्रेडिशनल सरोगेसी: ट्रेडिशनल सरोगेसी में माँ-बाप बनने वाले दंपति में सिर्फ पिता के शुक्राणुओं को लेकर सरोगेट मदर अंडे के साथ निषेचित किया जाता है इस प्रोसेस में बच्चे का जैनेटिक संबंध केवल पिता से होता है। ट्रेडिशनल सरोगेसी को ज्यादातर वही दंपतियाँ प्राथमिकता देती हैं जिनमे माँ के अंडकोष का न बनना या किसी कारणवश बार-बार मिसगैरेज हो जाने जैसी समस्या होती है, बता दें कि, ट्रेडिशनल सरोगेसी में बच्चे में पिता के साथ-साथ सरोगेट मदर के लक्षण भी हो सकते है।
जेस्टेशनल सरोगेसी: जेस्टेशनल सरोगेसी में आई वी एम (IVM ) पद्धति के द्वारा माता-पिता के अंडे व शुक्राणुओं को लेकर परखनाली में निषेचित किया जाता है और इसके बाद इसे सरोगेट मदर की कोख में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में बच्चे का जैनेटिक संबंध उसके माता-पिता दोनों से होता है। जेस्टेशनल सरोगेसी में सरोगेट मदर का बच्चे के साथ कोई भी अनुवांशिक सम्बन्ध नहीं होता है, बच्चा केवल सरोगेट मदर की कोख में विकसित होता है।
सरोगेसी की जरूरत क्यों होती है?
एक दंपति के जीवन में माँ-बाप बनने की खुशी से बढ़कर कोई खुशी नहीं होती है और हर दंपति का सपना होता है की वो माँ-बाप बने उनके भी बच्चे हो पर यह सुख सबको नसीब नहीं होता है इसका कारण महिला या पुरुष कोई भी हो सकता है। इसी समस्या का समाधान निकालने के लिए सरोगेसी जैसी तकनीकों का इजात किया गया है, जिन महिलाओ के गर्भाशय में अंडाणु नहीं बन पाते हैं या किसी कारणवश बार-बार मिशगैरेज हो जाता है वे महिलाएं सरोगेसी तकनीक का इस्तेमाल कर सकती हैं और संतान प्राप्ति का सुख ले सकती हैं।
कौन बन सकता है सरोगेट मदर?
भारत में सरोगेसी का खर्च काफी कम है यहां पर सरोगेट मदर भी आसानी से मिल जाती है। आमतौर पर 18 से 35 साल के बीच की गरीब महिलाएं आसानी से सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार हो जाती है। परन्तु सरोगेट मदर बनने की भी कुछ पात्रताएं सरकार द्वारा निर्धारित करी गई हैं जो इस प्रकार है –
- सरोगेट मदर आपकी करीबी या रिश्तेदार होनी महिला होनी चाहिए।
- सरोगेट मदर विकलांग या मंदबुद्धि नहीं होना चाहिए।
- सरोगेट मदर केवल एक बार ही सरोगेसी से बच्चे को जन्म दे सकती है।
- सरोगेसी के लिए सरोगेट मदर की पूरी सहमति होनी चाहिए।
कौन करवा सकता है सरोगेसी?
सरकार ने साल 2021 में सरोगेसी के संबंध में एक कानून सरोगेसी अधिनियम 2021 पारित किया है, जिसके तहत सरकार ने कमर्शियल अर्थात पैसे देकर सरोगेसी करवाने को गैरकानूनी घोषित कर दिया है इसके साथ ही सरोगेसी तथा सरोगेट मदर बनने के लिए कुछ योग्यताएं तय करी हैं, यदि कोई महिला या दंपति योग्य न होने के बावजूद सरोगेसी की प्रक्रिया का हिस्सा बनती है तो इसके लिए 10 लाख तक का जुर्माना या 10 वर्ष तक की कैद हो सकती है, आइए देखते हैं सरोगेसी के लिए क्या-क्या योग्यताएं हैं
सरोगेट मदर के लिए योग्यताएं-
- महिला को इच्छुक दंपति का निकट संबंधी होना अनिवार्य है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरोगेसी केवल परोपकार के उद्देश्य से करी जा रही है।
- सरोगेट मदर बनने वाली महिला विवाहित होनी चाहिए और उसका पूर्व में कोई बच्चा होना चाहिए
- उसकी उम्र 25 से कम या 35 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए
- वह सरोगेसी के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से फिट हो
- उसने पहले कभी सरोगेसी नहीं करी हो
दंपति के लिए योग्यताएं-
- दंपति के पास इनफर्टिलिटी या निःसंतान होने का सर्टिफिकेट होना चाहिए
- दंपति भारतीय नागरिक होने चाहिए और उनकी शादी को कम से कम 5 वर्ष होने चाहिए
- इच्छुक दंपति में महिला की आयु 23 से 50 वर्ष जबकि पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए
- उनका पूर्व में कोई स्वस्थ जीवित बच्चा नहीं होना चाहिए
- सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे को अस्वीकारा नहीं किया जा सकता है, बच्चा लड़का हो या लड़की
सरोगेसी में कितना खर्च आता है?
वर्तमान दौर में सरोगेसी का इस्तेमाल आम हो चुका है देश-विदेश में लोग इस प्रक्रिया का इस्तेमाल कर माता-पिता बन रहे हैं, जहाँ अधिकांश दंपतियाँ खासकर महिलाएं इस तकनीक का इस्तेमाल गर्भ से जुड़ी किसी समस्या के चलते करती हैं वहीं अब कई महिलाएं सरोगेसी का इस्तेमाल बिना किसी शारीरिक समस्या के चलते भी कर रही हैं। मीडिया, फैशन, सिनेमा जगत आदि से जुड़ी कई महिलाएं सरोगेसी के माध्यम से संतान प्राप्ति कर रही हैं ताकि उनके खुद के शरीर पर गर्भावस्था का कोई प्रभाव न पड़े।
जैसा कि, हमनें बताया सरोगेसी के जरिये सिनेमा जगत से जुड़े बहुत से बॉलीवूड सेलेब्स भी माता-पिता बने है। आमिर खान, शाहरुख खान, तुषार कपूर, एकता कपूर, करण जौहर, शिल्पा शेट्टी जैसे कई बड़े -बड़े सेलिब्रिटियों ने सरोगेसी की मदत से बच्चे पैदा किये है। सरोगेसी के खर्च की बात करें तो भारत में सरोगेसी का खर्च अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।

गौरतलब है कि सरोगेसी के संबंध में लागू नए कानून (सरोगेसी अधिनियम 2021) के तहत व्यसायिक स्तर पर सरोगेसी गैर-कानूनी है अतः सरोगेसी में डाइरेक्ट तौर पर खर्च नहीं आता है किन्तु माता-पिता बनने वाले दंपति के लिए सरकार द्वारा कुछ दिशानिर्देश तय किये गए हैं जिनका पालन करना दंपति के लिए अनिवार्य है जैसे सरोगेट मदर तथा होने वाले बच्चे का बीमा करना, किसी भी तरह का मेडिकल खर्च का वहन करना आदि।
नया सरोगेसी कानून क्या है?
साल 2021 में देश में सरोगेसी को विनियमित करने हेतु नए सरोगेसी कानून को पारित किया गया है। इसे सरोगेसी अधिनियम 2021 के नाम से जाना जाता है, आइये जानते है आखिरकार नए सरोगेसी कानून में क्या क्या प्रावधान हैं –
- सरोगेसी अधिनियम 2021 का उद्देश्य कमर्शियल और गैरकानूनी तरीके से की जा रही सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाकर परोपकारी सरोगेसी को लागू करना है
- इस विधेयक के अनुसार सरोगेसी से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति में महिला की उम्र 25 से 50 वर्ष और पुरुष की उम्र 26 से 55 होना अति आवश्यक है।
- इन सब के अतिरिक्त नया कानून यह भी सुनुश्चित करता है की सरोगेसी से उत्त्पन्न संतान को अस्वीकारा नहीं जा सकता है चाहे वह जिस स्थिति में पैदा हुआ हो।
- नए कानून के तहत सरोगेसी से उत्त्पन्न संतान उन सब अधिकारों का हकदार होगा जो एक प्राकृत तरीके से उत्त्पन्न बच्चे का होता है।
- इस कानून के अनुसार सरोगेट मदर के लिए बीमा कवरेज के साथ-साथ विभिन्न सुरक्षा उपायों का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही सरोगेट मदर के बीमा कवरेज को बढ़ाकर 16 महीने से अब 36 महीने कर दिया गया है।
- इस कानून के अनुसार निःसंतान दंपति के लिए सरोगेसी की प्रक्रिया से पहले पात्रता और प्रमाण प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
नए सरोगेसी कानून की जरूरत
सरोगेसी क्या है यह आप सब जान चुके है सीधे शब्दों में कहे तो सरोगेसी का मतलब किराये की कोख या किसी महिला की कोख का इस्तेमाल करते हुए संतान को जन्म देना है, परन्तु सरोगेसी का एक बेहतर और परोपकारी इस्तेमाल करने के लिए इसके नियमन की तथा इस संबंध में एक मजबूत कानून की बहुत अधिक आवश्यकता थी जिससे इसका दुरुपयोग होने से रोका जा सकता है। अक्सर हम देखते है की जो प्रणाली हमारे लिए लाभदायक होती है उसका गलत इस्तेमाल भी बहुत होता है अतः सरोगेसी का भी गलत तरीके से इस्तेमाल न किया जाए इसके लिए नया कानून का लाया जाना बहुत जरूरी था।
सरोगेसी के संबंध में एक मजबूत कानून लाने के पीछे कुछ निम्न मुख्य कारण थे-
1) भारत एक विकासशील देश है जहाँ पर अभी भी अत्यधिक गरीबी तथा जनसंख्या देखने को मिलती है जिस कारण से सरोगेसी के तहत मिलने वाले लाभ मुख्यतः एकमुश्त धनराशि के कारण गरीब तबके की ज्यादातर महिलाये सरोगेट मदर बनने को आसानी से तैयार हो जाती थी और बाद में उनके अधिकारों का उलंघन किया जाता। नए कानून के आने से ऐसी प्रक्रियायों को रोककर व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
2) गरीबी तथा अत्यधिक जनसंख्या के चलते सरोगेसी की प्रक्रिया विदेशों की तुलना में भारत में काफी सस्ती है जिस कारण विदेशी लोग भी भारत आकर सरोगेसी करवाते थे ऐसे में कई बार ये लोग बिना बच्चा लिए ही चले जाते या फिर सरोगेट मदर को उनका सही अधिकार नहीं देते थे नए कानून के आने से केवल भारतीय ही भारत में सरोगेसी करवा सकते है कोई अन्य नागरिक नहीं।